हम इंडियंस की डेली लाइफ में कहां तक घुसा है चीन


                                   June 22

पड़ोसी देश चीन के सामान की आलोचना हर दूसरे शख्स से सुनने को मिलती है। पर वास्तविकता तो यह है कि रोजमर्रा के जीवन में हम इतने अधिक चीनी उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं जिनकी जानकारी हमें भी नहीं हैं। एक नजर


फोन और गैजेट
भारत में शाओमी, जिओनी और ओप्पो जैसी दर्जनों चीनी कंपनियां अपने मोबाइल और गैजेट्स बेच रही हैं। कम दामों में ज्यादा फीचर्स देने के लिए लोग इन्हें पसंद करते हैं। इतना ही नहीं अमेरिकी कंपनी एप्पल के आइफोन भी चीन में एसेंबल होते हैं। साथ ही एचपी, सैमसंग, लेनोवो और मोटोरोला के स्मार्टफोन और लैपटॉप के ज्यादातर डिवाइस चीन में बनते हैं।



भारतीय कंपनियां नाकाम
देश में इस्तेमाल होने वाले अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई कंपनियों के गैजेट्स चीन में बनते हैं। वहीं आम जनता को भी चीन में बने सस्ते हैंडसेट लुभाते हैं। भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में कमजोर रही हैं। कोई भी देशी कंपनी चीन के स्तर के डिवाइस बनाने में सफल नहीं हुई है।
मेक इन इंडिया भी चीन पर निर्भर
सिर्फ फोन ही नहीं बल्कि प्लास्टिक का सामान, इमिटेशन जूलरी, लकड़ी या लोहे के उत्पाद भले ही भारत में बने लेकिन इनमें कोई न कोई पार्ट चीनी जरूर होता है। जैसे प्लास्टिक दाना और गहनों के बीड्स या नकली मोती।
फेसबुक में भी हिस्सेदारी
गूगल और फेसबुक भले ही अमेरिकी कंपनियां हों, लेकिन इनमें कई देशों के शेयर हैं जो इन कंपनियों में निवेश भी करते हैं। चीन भी इनमें से एक देश है। चीनी कंपनी अलीबाबा की बिग बॉस्केट, पेटीएम, स्नैपडील और जौमेटो में तकरीबन 50 करोड़ डॉलर का निवेश है। वहीं बीवाईजेयू, फ्लिपकार्ट, ओला, स्विगी में चीन की टेनसेंट नाम की कंपनी की हिस्सेदारी है।
मोबाइल एप भी कम चीनी नहीं
स्मार्ट फोनों में चैटिंग, शॉपिंग, ट्रैवल व दिन भर की हर जरूरत के लिए मोबाइल एप मौजूद हैं। ऐसी ही एक लोकप्रिय एप वी चैट चीन का है। कई मशहूर एप्स में चीन ने निवेश किया है। हाल ही में मोबाइल से चीनी एप को निकालने का अभियान चला।

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